नई दिल्ली :- भारत देश में 95 फ़ीसदी पशुपालन किसानों द्वारा किया जाता है. किसान के पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा एक नई योजना चलाई गई है. इसके लिए आपको पीएम किसान सम्मान निधि योजना का हिस्सा बनना होगा.
Pm Kisan Samman Nidhi Yojana के लाभार्थियों के लिए आई एक अच्छी खबर
किसान के फायदे के लिए पीएम द्वारा पीएम किसान सम्मान निधि योजना चलाई गई है. अगर आप भी इस योजना के लाभार्थी हैं तो सरकार की तरफ से एक और अच्छी खबर सामने आई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जानकारी दी है. यह खबर ऐसे समय में दी गई है जब किसानों को 13वीं किस्त का इंतजार हो रहा है. सरकार की इस नई योजना का फायदा पशुपालकों को सबसे ज्यादा होगा. एक रिपोर्ट से यह साफ हो चुका है कि देश के करीब 95 फ़ीसदी पशुपालन किसानों द्वारा किया जाता है. कृषि मंत्री का कहना है कि देश में करीब आधी स्वदेशी पशुधन नस्लों को अभी तक वर्गीकृत नहीं किया गया है. कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पशुओं की पहचान करनी जरूरी है.
पशुओं की पहचान के लिए चलाया गया है एक नया अभियान
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद इस नई योजना पर तेजी से काम कर रहा है. देश में पशुओं की नस्ल की पहचान के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है. आईसीएआर की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में पशु नस्ल पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के बाद तोमर ने कहा देश का आधे से भी ज्यादा पशुधन अभी तक वर्गीकृत नहीं किया गया है. हमें जल्द से जल्द अनूठी नस्लों की पहचान करनी होगी. ताकि इन नस्लों को भविष्य में बचाया जा सके.
आईसीएआर की सराहना की
भारत के कृषि मंत्री का कहना है कि पशुधन की बड़ी संख्या में देसी नस्लें हैं, जिन्हें सभी क्षेत्रों में पहचानने की जरूरत है. इससे कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने में मदद होगी. आईसीएआर की सराहना करते हुए कृषि मंत्री ने कहा है कि यह काम आसान नहीं है. इस काम को राज्य के विश्वविद्यालयों पशुपालन विभाग और गैर सरकारी संगठनों आदि के सहयोग के बिना हम पूरा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा है कि आईसीएआर ने इन सभी एजेंसियों के सहयोग से मिशन मोड में देश के सभी पशु आनुवंशिक संसाधनों का प्रलेखन शुरू किया है. पूरे देश भर में पशुधन और मुर्गी पालन क्षेत्र में भारत की विशाल विविधता को समझ रहे हैं. पशु आनुवंशिक संसाधनों का दस्तावेज करण करने और उनकी आनुवंशिक विविधता को संरक्षित करने के प्रयासों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य और कृषि संगठन द्वारा भी सराहना की गई है.
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